भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मशहूर ज्वेलरी ब्रांड तनिष्क (famous jwellery brand tanishq) के अपने विज्ञापन को वापिस लेने के बाद मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह (digvijay singh) ने टाटा समूह से सवाल किया है। उन्होने एक ट्वीट के जरिये कहा है कि जो टाटा समूह (tata group) पिछले 100 सालों से भारत की बहुधार्मिक संस्कृति का ब्रांड रहा है, उसे पैसों के बल पर चलने वाले निम्न स्तर की ट्रोल आर्मी से ट्रोल क्यों कराया गया।|
दिग्विजय सिंह ने इस संदर्भ में जर्मन कवि मार्टिन निमोलर की प्रसिद्ध कविता का जिक्र करते हुए टाटा समूह के मालिक रतन टाटा (ratan tata) से इस विज्ञापन को हटाए जाने पर सवाल पूछा है। उन्होने कहा कि क्या आपको मार्टिन निलोमर की कविता याद है ? इसी के साथ उन्होंने रतन टाटा को कविता के संदेश को गंभीरता से लेने की सलाह भी दी।
हिटलर की क्रूरता और अमानवीयता के खिलाफ जर्मन कवि मार्टिन निलोमर ने एक कविता लिखी थी, जिसका भावानुवाद कुछ यूं है –
पहले वे कम्युनिस्टों के लिए आए
और मैं कुछ नहीं बोला
क्योंकि मैं कम्युनिस्ट नहीं था
फिर वे ट्रेड यूनियन वालों के लिए आए
और मैं कुछ नहीं बोला
क्योंकि मैं ट्रेड यूनियन में नहीं था
फिर वे यहूदियों के लिए आए
और मैं कुछ नहीं बोला
क्योंकि मैं यहूदी नहीं था
फिर वे मेरे लिए आए
और तब तक कोई नहीं बचा था
जो मेरे लिए बोलता
बता दें कि तनिष्क ( tanishq) के नए विज्ञापन में एक हिंदू युवती को दिखाया गया था, जिसकी मुस्लिम परिवार में शादी हुई है। इसमें महिला की गोदभराई के दौरान दिखाया है कि मुस्लिम परिवार हिंदू रीति रिवाजों से रस्में अदा करता है। एड के आखिर में एक गर्भवती महिला अपनी सास से पूछती है कि ‘मां ये रस्म तो अपने घर में होती ही नहीं है न?’ जिसपर उसकी सास ने जवाब दिया कि ‘पर बिटिया को खुश रखने की रस्म तो हर घर में होती है न?’ एड फिल्म में हिंदू-मुस्लिम परिवार की एकता को दिखाया गया है। कौमी एकता वाले विज्ञापन को लेकर कई लोगों ने इसे लव जिहाद से जोड़ दिया और ट्वीटर पर #BoycottTanishq (#BoycottTanishq trending twiiter) ट्रेंड करने लगा। इसी के तनिष्क (tanishq) ने अपना एड वापस लेना पड़ा। इसी मामले पर अब दिग्विजय सिंह ने जर्मन कवि मार्टिन निलोमर की कविता का उद्धरण देते हुए रतन टाटा से सवाल किए हैं और हिदायत भी दी है। उन्होने कहा है कि इस तरह कौमी एकता का संदेश देने वाला विज्ञापन, कुछ ट्रोलर्स के कारण वापस लेना कहीं से भी तर्कसंगत नहीं है।
About Author
श्रुति कुशवाहा
2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।